Wednesday, January 30, 2013

Hari om to all

30 जनवरी की रात्रि 9.15 बजे बृहस्पति मार्गी होंगे। देवगुरु के मार्गी होते ही बारह राशियों के जातकों तथा धर्मक्षेत्र के लिए उन्नति का क्रम शुरू होगा। इस दिन गणपति की आराधना करने से आर्थिक लाभ, मांगलिक कार्य तथा संपत्ति प्राप्ति के योग भी बनेंगे।

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस बार माघ मास के कृष्ण पक्ष की संकष्टा चतुर्थी 22 साल बाद विशिष्ट संयोग के साथ आ रही है।

मनोवांछित फल प्राप्ति योग ~ ~
30 जनवरी, 2013

शिव पुराण में लिखा है माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी (30 जनवरी, 2013) के दिन शिव पूजन करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है ।

- श्री सुरेशानंदजी

Friday, January 28, 2011

षटतिला एकादशी

युधिष्ठिर ने श्रीकृष्ण से पूछा: भगवन् ! माघ मास के कृष्णपक्ष में कौन सी एकादशी होती है? उसके लिए कैसी विधि है तथा उसका फल क्या है ? कृपा करके ये सब बातें हमें बताइये


श्रीभगवान बोले: नृपश्रेष्ठ ! माघ (गुजरात महाराष्ट्र के अनुसार पौष) मास के कृष्णपक्ष की एकादशी षटतिलाके नाम से विख्यात है, जो सब पापों का नाश करनेवाली है मुनिश्रेष्ठ पुलस्त्य ने इसकी जो पापहारिणी कथा दाल्भ्य से कही थी, उसे सुनो


दाल्भ्य ने पूछा: ब्रह्मन्! मृत्युलोक में आये हुए प्राणी प्राय: पापकर्म करते रहते हैं उन्हें नरक में जाना पड़े इसके लिए कौन सा उपाय है? बताने की कृपा करें


पुलस्त्यजी बोले: महाभाग ! माघ मास आने पर मनुष्य को चाहिए कि वह नहा धोकर पवित्र हो इन्द्रियसंयम रखते हुए काम, क्रोध, अहंकार ,लोभ और चुगली आदि बुराइयों को त्याग दे देवाधिदेव भगवान का स्मरण करके जल से पैर धोकर भूमि पर पड़े हुए गोबर का संग्रह करे उसमें तिल और कपास मिलाकर एक सौ आठ पिंडिकाएँ बनाये फिर माघ में जब आर्द्रा या मूल नक्षत्र आये, तब कृष्णपक्ष की एकादशी करने के लिए नियम ग्रहण करें भली भाँति स्नान करके पवित्र हो शुद्ध भाव से देवाधिदेव श्रीविष्णु की पूजा करें कोई भूल हो जाने पर श्रीकृष्ण का नामोच्चारण करें रात को जागरण और होम करें चन्दन, अरगजा, कपूर, नैवेघ आदि सामग्री से शंख, चक्र और गदा धारण करनेवाले देवदेवेश्वर श्रीहरि की पूजा करें तत्पश्चात् भगवान का स्मरण करके बारंबार श्रीकृष्ण नाम का उच्चारण करते हुए कुम्हड़े, नारियल अथवा बिजौरे के फल से भगवान को विधिपूर्वक पूजकर अर्ध्य दें अन्य सब सामग्रियों के अभाव में सौ सुपारियों के द्वारा भी पूजन और अर्ध्यदान किया जा सकता है अर्ध्य का मंत्र इस प्रकार है:


कृष्ण कृष्ण कृपालुस्त्वमगतीनां गतिर्भव 

संसारार्णवमग्नानां प्रसीद पुरुषोत्तम ॥ 

नमस्ते पुण्डरीकाक्ष नमस्ते विश्वभावन 

सुब्रह्मण्य नमस्तेSस्तु महापुरुष पूर्वज ॥ 

गृहाणार्ध्यं मया दत्तं लक्ष्म्या सह जगत्पते

 

सच्चिदानन्दस्वरुप श्रीकृष् ! आप बड़े दयालु हैं हम आश्रयहीन जीवों के आप आश्रयदाता होइये हम संसार समुद्र में डूब रहे हैं, आप हम पर प्रसन्न होइये कमलनयन ! विश्वभावन ! सुब्रह्मण्य ! महापुरुष ! सबके पूर्वज ! आपको नमस्कार है ! जगत्पते ! मेरा दिया हुआ अर्ध्य आप लक्ष्मीजी के साथ स्वीकार करें
तत्पश्चात् ब्राह्मण की पूजा करें उसे जल का घड़ा, छाता, जूता और वस्त्र दान करें दान करते समय ऐसा कहें : इस दान के द्वारा भगवान श्रीकृष्ण मुझ पर प्रसन्न हों अपनी शक्ति के अनुसार श्रेष्ठ ब्राह्मण को काली गौ का दान करें द्विजश्रेष्ठ ! विद्वान पुरुष को चाहिए कि वह तिल से भरा हुआ पात्र भी दान करे उन तिलों के बोने पर उनसे जितनी शाखाएँ पैदा हो सकती हैं, उतने हजार वर्षों तक वह स्वर्गलोक में प्रतिष्ठित होता है तिल से स्नान होम करे, तिल का उबटन लगाये, तिल मिलाया हुआ जल पीये, तिल का दान करे और तिल को भोजन के काम में ले  
इस प्रकार हे नृपश्रेष्ठ ! : कामों में तिल का उपयोग करने के कारण यह एकादशी षटतिलाकहलाती है, जो सब पापों का नाश करनेवाली है


Tuesday, March 23, 2010

Vasanta Navaratri

Vasanta Navaratri


This is celebrated during Vasanta Rutu (beginning of summer) (March- April). This is also known as Chaitra navaratri as it falls during the lunar month of Chaitra.


The Story Behind the Origin of Vasanta Navaratri

In days long gone by, King Dhruvasindhu was killed by a lion when he went out hunting. Preparations were made to crown the prince Sudarsana. But, King Yudhajit of Ujjain, the father of Queen Lilavati, and King Virasena of Kalinga, the father of Queen Manorama, were each desirous of securing the Kosala throne for their respective grandsons. They fought with each other. King Virasena was killed in the battle. Manorama fled to the forest with Prince Sudarsana and a eunuch. They took refuge in the hermitage of Rishi Bharadwaja.

The victor, King Yudhajit, thereupon crowned his grandson, Satrujit, at Ayodhya, the capital of Kosala. He then went out in search of Manorama and her son. The Rishi said that he would not give up those who had soughts protection under him. Yudhajit became furious. He wanted to attack the Rishi. But, his minister told him about the truth of the Rishi’s statement. Yudhajit returned to his capital.

Fortune smiled on Prince Sudarsana. A hermit’s son came one day and called the eunuch by his Sanskrit name Kleeba. The prince caught the first syllable Kli and began to pronounce it as Kleem. This syllable happened to be a powerful, sacred Mantra. It is the Bija Akshara (root syllable) of the Divine Mother. The Prince obtained peace of mind and the Grace of the Divine Mother by the repeated utterance of this syllable. Devi appeared to him, blessed him and granted him divine weapons and an inexhaustible quiver.

The emissaries of the king of Benares passed through the Ashram of the Rishi and, when they saw the noble prince Sudarsana, they recommended him to Princess Sashikala, the daughter of the king of Benares.

The ceremony at which the princess was to choose her spouse was arranged. Sashikala at once chose Sudarsana. They were duly wedded. King Yudhajit, who had been present at the function, began to fight with the king of Benares. Devi helped Sudarsana and his father-in-law. Yudhajit mocked Her, upon which Devi promptly reduced Yudhajit and his army to ashes.

Thus Sudarsana, with his wife and his father-in-law, praised Devi. She was highly pleased and ordered them to perform Her worship with havan and other means during the Vasanta Navaratri. Then She disappeared.

Prince Sudarsana and Sashikala returned to the Ashram of Rishi Bharadwaja. The great Rishi blessed them and crowned Sudarsana as the king of Kosala. Sudarsana and Sashikala and the king of Benares implicitly carried out the commands of the Divine Mother and performed worship in a splendid manner during the Vasanta Navaratri.

Sudarsana’s descendants, namely, Sri Rama and Lakshmana, also performed worship of Devi during the Sharana Navaratri and were blessed with Her assistance in the recovery of Sita.

 Why Celebrate Vasanta Navaratri?

It is the duty of the devout Hindus to worship the Devi (Mother Goddess) for both material and spiritual welfare during the Vasanta Navaratri and follow the noble example set by Sudarsana and Sri Rama. He cannot achieve anything without the Divine Mother’s blessings. So, sing Her praise and repeat Her Mantra and Name. Meditate on Her form. Pray and obtain Her eternal Grace and blessings. May the Divine Mother bless you with all divine wealth!"

Tuesday, October 28, 2008

शुभ दीपावली






दीपावली की हार्दिक शुभकामनाये

Satsang On Diwali
दिवाली में ४ चीजे करते…(आप अध्यात्मिक दिवाली मनाओ)१)घर का कचरा बाहर निकाल कर साफसुथरा करते ऐसे फालतू वासना का कचरा बाहर निकालो … अध्यात्मिक दिवाली मनाओ….२)घर में नई चीजे लाते … "दुसरे का हीत , दुसरे का मंगल कैसे हो" ये आप के जीवन में नई चीज लाओ… दुसरे सुख, प्रसन्नता और सन्मानित कैसे रहे ऐसा हीत का चिंतन करो तो आप लोक लाडले हो जायेंगे..३)दिए जलाते… अपने को परिस्थितियों में पीसो मत….ज्ञान का दिया जलाओ …..दुःख आया तो गलती हुयी है, गलती कैसे मिटे …धन के संग्रह में लगे तो गलती हुयी तो इनकम टैक्स का दुःख हुआ….संसार दुखालय है….आसक्ति से पंगा छुडाओ ….सुख आया तो बाटों ..सुख उदार होने के लिए आता ..ऐसा ज्ञान का दिया जलाओ ..४) मिठाई खाते और खिलाते…. प्रभु का आनंद अपने जीवन में भरो…ख़ुद भी प्रसन्न रहो….दूसरो को भी मधुरता दो..मधुराधिपतये मधुरं मधुरं… अर्थात मधुमय व्यवहार करो ..(किसी गरीब बस्ती में जाकर मिठाई खिलाना और गरीब के घर में भी दिया जला के आना).. मैं दिवाली में आदिवासी एरिया में जाऊँगा…जहा गरीब गुरबे है… कपडे, बर्तन, मिठाई बाटूंगा ….हम दिवाली नए कपडे पहेन के नही मनाते… मेरी तो रोज दिवाली है.

Monday, October 6, 2008

शरद पूनम

From Dusshera to Sharad Poonam night by doing tratak (Fixed gazing)
at Moon increases eye-sight।

Make kheer of Rice, Milk, Mishri, Put some gold or silver for sometime while making
Kheer then place it in

Moonlight for atleast 2 hours। Don't cook any other food for that day, only eat Kheer।

We should not take heavy diet in late night, hence eat Kheer accordingly।

The Kheer nourished in the radiant moonlight on Sharad Poonam night can also be ताकें
in next day break-fast after

For Eyes to function properly whole year, try to put thread in a needle in Sharad Poonam Moonlight। (No other light should be nearby).
Sharad Poonam Night is very beneficial for spiritual upliftment, hence one should do Jaagran on this night, i.e. as possible don't sleep and do Japa Dhyan Kirtan on this holy night

मकिंग
it as Prasad by offering it to Pujya गुरुदेव